Skip to main content

गा के जियो तो गीत है जिंदगी...

"जीत के गीत" गाने वाले बिस्वजीत हैं, आवाज़ पर इस हफ्ते के उभरते सितारे.

यह संयोग ही है कि उनका लघु नाम (nick name) भी जीत है, और जो पहला गीत उन्होंने गाया हिंद युग्म ले लिए, उसका भी शीर्षक "जीत" ही है. जैसा कि हम अपने हर फीचर्ड आर्टिस्ट से आग्रह करते हैं कि वो अपने बारे में हिन्दी में लिखें, हमने जीत से भी यही आग्रह किया, और आश्चर्य कि जीत ने न सिर्फ़ लिखा बल्कि बहुत खूब लिखा, टंकण की गलतियाँ भी लगभग न के बराबर रहीं, तो पढ़ें कि क्या कहते हैं बिस्वजीत अपने बारे में -


मैं उड़ीसा राज्य के एक छोटे शहर कटक से वास्ता रखता हूँ. मेरा जन्म यहीं हुआ और बचपन इसी शहर में बीता. मैं हमेशा से ही पढ़ाई में उच्च रहा और मुझे कभी नहीं पता था कि मुझ में गायन प्रतिभा है. एक बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैंने बिना सोचे अपने स्कूल के गायन प्रतियोगिता में भाग लिया और अपने सभी अध्यापको से सराहा गया. तभी से मुझ में गायन की जैसे मानो लहर सी चल गई. और जब में अपने कॉलेज के दौरान ड्रामाटिक सेक्रेटरी चुना गया तो मुझे अलग अलग तरह के कार्यक्रमों में गाने का अवसर प्राप्त हुआ और तभी मैं कॉलेज का चहेता गायक बन गया. मैं अपने कॉलेज के दौरान किशोर कुमार, कुमार सानू,हरिहरन, एस पी बालासुब्रमन्यम के गानों को गाकर प्यार बटोरा करता था.

मैं व्यवसाय में सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ और मैं इसको भगवान का आशीर्वाद मानता हूँ. मेरे व्यवसाय ने मुझे कभी गायन में मदद तो नहीं की, पर हमेशा ऐसे लोगो से मिलवाया है जो संगीत से ताल्लुक रखते है और इससे हमेशा मेरे व्यक्तित्व में उन्नति हुई है. मैं हमेशा से ही किशोर कुमार जी का प्रशंसक रहा हूँ. नए दौर के गायकों में सोनू निगम, केके और शान को पसंद करता हूँ.

संगीत मेरी चाह है. अच्छे संगीत से मैं हमेशा उत्सुक रहता हूँ. मैं समझता हूँ की संगीत ईश्वरीय है और इसमें संसार को बदलने की परिपूर्णता है .किसी ने बोला है 'गाके जियो तो गीत है ये जिंदगी'. अगर संगीत हमारे जीवन का एक हिस्सा हो, जीवन एक गीत की तरह सुंदर बन जाता है. मैं गायक की निर्मलता और शुद्धता में विश्वास रखता हूँ. जैसे ताजगी फूलो को असामान्य बना देती है वैसे ही सादगी गायकी को ईश्वरीय बना देती है. आनेवाले सालो में, मैं हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना चाहूँगा.

मैं और हिंद युग्म

हिंद युग्म के साथ मेरी मुलाक़ात एक अचम्भे की तरह हुई. समाज मे बहुत कम ऐसी वेबसाइट्स है, जो हिन्दुस्तानी संगीत की संस्कृति और हिन्दी भाषा को बढ़ावा देते है,यही हिंद युग्म की सबसे बड़ी विशेषता है. इसके साथ जब मुझे जीत के गीत गाने का मौका मिला, मेरी खुशी दुगनी हो गयी. हिंद युग्म के माध्यम से मुझे अर्थपूर्ण गायन का मौका मिला जो हमेशा से मेरा सपना रहा है. मुझे गर्व है की मेरा गाया हुआ गीत "जीत के गीत" सभी को प्रेरित करने योग्य है.

रिषीजी और सजीवजी के साथ काम करना मेरे सौभाग्य की बात है जिनके संगीत और शब्दों में जादू है.

पाठको के लिए संदेश

भगवान ने दुनिया की रचना की शुरूवात नाद और संगीत के माध्यम से की थी. नदी की बहाव में, बादलों की गरज में और प्रकर्ति के हर सौंदर्य में नाद और संगीत कहीं न कहीं छिपे हुए है. यही कारण है कि हमेशा नाद और संगीत हमें शान्ति की और ले जाते है और मानें तो भगवान के करीब ले जाते है. तो चलिए अपने जीवन को हिंद युग्म के द्वारा नाद और संगीत से परिपूर्ण कर दे.

जितना सुंदर गायन है, उतने ही सुंदर विचार हैं, बिस्वजीत के, तो लीजिये एक बार फ़िर सुनिए उनका गाया ये पहला गीत, और इस बेहद प्रतिभावान गायक को, अपना मार्गदर्शन दे, प्रोत्साहन दें.

Comments

very well done biswa, reaproud of u, keep up the good work, u will hit the top for sure
बिस्वजीत,

आप युग्म के पसंदीदा गायक बन गये हैं। बहुत-बहुत बधाई। मुझे आशा है कि हिन्द-युग्म के साथ मिलकर आप इतिहास रचेंगे। बहुत खूब।
shivani said…
बिस्वजीत आपके विषय में जान कर बहुत अच्छा लगा !आपकी आवाज़ जितनी मधुर है आपके विचार भी उतने ही सादगी से भरे हैं...आपकी बातों से लगता है आप प्रकृति से प्यार करते हैं ....जैसा आपके साथ हुआ की अचानक ही आपने बिना सोचे समझे अपने स्कूल में गायन में भाग लिया ,ठीक उसी प्रकार एक दिन मैंने भी बिना सोचे समझे अपने कालेज की पत्रिका में अपनी एक कहानी भेज दी थी जो श्रीमती मन्नू भंडारी द्वारा चयनित हो कर छप गयी थी....आप बहुत प्रतिभावान हैं हर क्षेत्र में....मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं .....इश्वर करे आप अपने लक्ष्य को पाएं और गायकी की दुनिया में बहुत नाम कमायें ....धन्यवाद !
Srinivas Panda said…
Heard your voice. Nice voice yaar!! I released one Oriya Album 'NUA PIDHI' few months back. Got some films & other projects. It's good to get such hidden talents...Want to talk to you. plz mail me ur contact number.

Regards,
Srinivas Panda,
panda.srinivas@gmail.com

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की